MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE SOLUTIONS
MP Board Class 10th So.
Science Book Solutions in Hindi Medium अध्याय - 1 भारत के संसाधन - I MP Board Class 10th So. Science Solutions सामाजिक विज्ञान - MP ..MP Board Class 10th So. Science Book Solutions in Hindi अध्याय - 1 MP Board Class 10th So. Science Solutions अध्याय - 1 भारत के संसाधन - I Board Class 10th So. Science अध्याय - 1 अध्याय - 1 भारत के संसाधन - I वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्रश्न 1. सही विकल्प चुनिए- (i) कौनसा कारक मृदा के निर्माण में सहयोगी नहीं है ? (अ) वायु और जल. (ब) सड़े-गले पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु (स) शैल और तापमान (द) पानी का इकटूठा होना । (ii) आंध्रप्रदेश और उड़ीसा के डेल्टा क्षेत्रों तथा गंगा के मैदानों में सामान्यतः कौनसी मिट्टी पाई जाती है ? (अ) लाल मिट्टी (ब) जलोढ़ मिट्टी (स) काली मिट्टी (द) लैटेराइट मिट्टी । (iii) मृदा सरक्षण के लिए समोच्च रेखा बन्ध बनाने की विधि प्रायः किस क्षेत्र में उपयोग में लाई जाती है ? (अ) डेल्टा प्रदेश (ब) पठारी प्रदेश (स) पहाड़ी (द) मैदानी क्षेत्र । (iv) मानव सर्वाधिक उपयोग करता है- (अ) भौम जल (ब) महासागरीय जल (स) पृष्ठीय जल (द) वायुमंडलीय जल । (v) घाना पक्षी विहार स्थित है - (अ) केरल में (ब) राजस्थान में (स) पश्चिमी बंगाल में (द) मध्यप्रदेश में। (vi) वन संसाधन की प्रमुख समस्या है- (2010, 2012) (अ) मछली पालन (ब) रेगिस्तान का विस्तार (स) वनों में लगने वाली आग (द) आदिवासी गतिविधियाँ उत्तर- (i) द, (ii) ब, (iii) स, (iv) स, ( v) ब, (vi) ब । प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- (i) सयुक्त वन प्रबन्धन व्यवस्था में .............. का महत्वपूर्ण स्थान है। (ii) सामाजिक वानिकी योजना को ................ से वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है। (ii) वन अग्नि-नियन्त्रण परियोजना ............ के सहयोग से संचालित है। (iv) वन्य जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु ......... एवं ...... की स्थापना की गई है । (v) प्रतिवर्ष भारत में 1 से 7 जुलाई तक ............ कार्यक्रम मनाया जाता है। (vi) नदियों, झीलों व छोटे-छोटे जलाशयों का जल ........... कहलाता है । उत्तर-(i) ग्रामीण वन सुरक्षा (ii) विश्व बैंक (ii) यू.एनडी. पी. (iv) राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारणों (v) वन महोत्सव (vi) स्थिर जल। प्रश्न 3. सही जोड़ी मिलाइए- (अ) . (ब) (i) कार्बेट (अ) जम्मू एवं कश्मीर (ii) पेरियार (ब) असम (ii) दचिगाम (स) चन्द्रपुर (iv)मानस (द) उत्तराखण्ड (v) वन अग्नि-नियन्त्रण परियोजना (इ) केरल (vi) काली मिट्टी (ई) महाराष्ट्र उत्तर- (i) द, (ii) इ, (iii) अ, (iv) ब, (४) स, (vi) ई । प्रश्न 3. सत्य / असत्य को स्पष्ट कीजिए- (i) क्न, जलवायु को नियन्त्रित कर पर्यावरण संतुलन में सहयोग करते हैं । (ii) केन्द्र सरकार ने संन् 1955 में केन्द्रीय वन आायोग की स्थापना की । (iii) वनों की वर्षा का संचालक कहा जाता है । (iv) वनों के कारण मिट्टी की ऊपरी सतह बह सकती है । (v) काली मिट्टी कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त है । उत्तर- (i) सत्य, (ii) असत्य, (in) सत्य, (iv) असत्य, (v) सत्य । प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए- (i) यह मिट्टी प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टांनों के टूटने से बनती है । (ii) जल से भरे रहने वाले क्षेत्र को क्या कहते हैं ? (ii) डेल्टाई भागों में सामान्यतः कौन सी मिट्टी पायी जाती है ? (iv) पेड़ -पौधे और जीव-जन्तुओं के सड़े-गले अवशेष क्या कहलाते हैं ? (v) मिट्टी की उर्वरता में कमी को क्या कहते हैं। उत्तर- (i) लाल मिट्टी , (ii) जलसमर क्षेत्र , (iii) जलोढ , (iv) हयूमस , (v) मृदाक्षय । अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. मृदा अपरदन व मृदा संरक्षण को परिभाषित कीजिए । उत्तर- मृदा अपरदन - बहते हुए जल अथवा बहती हुई वायु द्वारा भू-सतह से मृदा के आवरण को हटाना मृदा अपरदन कहलाता है। मृदा संरक्षण - मृदा अपरदन को रोकना ही मृदा संरक्षण कहलाता है। प्रश्न 2, निम्न के आधार क्या है- (I) संशोधित वन-नीति 1988, (II) सामाजिक वानिकी योजना की सफलता उत्तर- (1) संशोधित वन नीति 1988- पर्यावरण में स्थिरता, जीव जन्तुओं का संरक्षण एवं वनों का विकास संशोधित वन- नीति 1988 का मुख्य आधार है । (ii) सामाजिक वानिकी योजना सामाजिक वानिकी योजना की सफलता का आधार विश्व बैंक है, जिसने इस योजना हेतु वित्तीय सहायता दी है । प्रश्न 3. वन आधारित प्रमुख उद्योग बताइए । उत्तर- वन आधारित प्रमुख उद्योग- (1) वनों से प्राप्त लकड़ी, घास, तथा बाँस आदि से कागज उद्योग । (2) चीड़, स्प्रूस तथा सफेद सनोवर से दियासलाई उद्योग, (3) वनों से प्राप्त लाख से लाख उद्योग, (4) वनों से प्राप्त मोम से मोम उद्योग, (5) महुआ की छाल व बबूल से गोंद उद्योग, (6) चन्दन, तारपीन, केवड़ा आदि से तेल उद्योग । प्रश्न 4. भौम जल के स्रोत क्या है ? उत्तर - भौम जल पाने के स्रोतकुएँ एवं टूरयूबवेल है । प्रश्न 5. भारतीय वन प्रबन्ध संस्थान की स्थापना क्यों की गई है ? उत्तर- वन संसाधनों तथा उनके प्रबन्धन की नवीन बातों की जानकारी प्रदान करने के लिए भारतीय वन संसाधन की स्थापना की गई है । प्रश्न 6. वन, जलवायु को कैसे निरयन्त्ित करते हैं ? उत्तर- वन, जलवायु को नियन्त्रित कर पर्यावरण संतुलन में सहयोग करते हैं । वन जलवायु को नियन्त्रित करने हेतु ठण्डी बायु के प्रवाह को रोकते हैं व अत्यधिक ठण्डी जलवायु होने से बचाते हैं। वन गर्म व तेज हवाओं के प्रवाह को कम कर देते हैं, जिससे जलवायु अत्यधिक गर्म नहीं हो पाती है व जलवायु समशीतोष्ण रहती है । इस प्रकार वन, जलवायु को नियन्त्रित करते हैं । प्रश्न 7. सामाजिक वानिकी योजना क्या है ? उत्तर- सामाजिक वानिकी योजना विश्व बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त कर शुरु की गई है। यह योजना वृक्षारोपण पर आधारित है। इस योजना के अन्तर्गत चक वानिकी, विस्तार वानिकी एवं शहरी वानिकी के अन्तर्गत खेतों, सड़कों, रेल लाईनों के किनारे वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है । यह योजना वनों के संरक्षण व विस्तार हेतु एक सराहनीय कार्य है । इससे वरनों में वृद्धि के सथ-साथ प्राकृतिक सुन्दरता में भी वृद्धि होती है । प्रश्न 8. काली मिट्टी की कोई दो विशेषताएँ लिखिए । उत्तर- विशेषताएँ- (1) काली मिट्टी का निर्माण लावा के प्रवाह से हुआ है, अतः इसमें मैग्मा के अंश लोहा व ऐल्युमिनियम की प्रधानता पायी जाती है । (2) इसमें अधिक समय तक नमी धारण करने की क्षमता होती है। प्रश्न 9. जल संरक्षण के प्रमुख उपाय लिखिए । (कोई तीन) उत्तर- जल संरक्षण के प्रमुख उपाय - (1) उपलब्ध जल का उपयोग मितव्ययी रूप में किया जाना चाहिए । (2) जल के अपव्यय को नियन्त्रित किया जाना चाहिए । (3) जल स्त्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उनका उचित प्रबन्धन किया जाना चाहिए। प्रश्न 10. वर्षा का जल संरक्षण क्यों आवश्यक है ? उत्तर- वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता- भूमि पर जल का वितरण असमान है, साथ ही भारत में वर्षा सम्बन्धी कई समस्याएँ हैं । जैसे-वर्षा का समय पर न होना, कभी वर्षा होना, कभी नहीं होना, जिससे जल सम्बन्धी कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं । पर्याप्त पेय जल उपलब्ध नहीं हो पाता है । सिंचाई हेतु पर्याप्त जल नहीं रहता है एवं पूरे वर्ष जल की उपलब्धता नहीं रह पाती है। अतः पूरे वर्ष मानव उपयोग हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध रहे, इसलिए वर्षा जल का संग्रहण जरूरी है । प्रश्न 11. वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय लिखिए । (कोई दो) उत्तर- वन्यप्राणी संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं - (1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुँचाए नियन्त्रित करना चाहिए । (2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना चाहिए । प्रश्न 12. भारत में मिट्टियों के विभिन्न प्रकार लिखिए । उत्तर- मिट्टियों के प्रकार - (i) जलोढ मिट्टी, (ii) काली या रेगड़ मिट्टी, (iii) लाल मिट्टी, (iv) लैटेराइट मिट्टी, (v) मरूस्थलीय मिट्टी, (vi) पर्वतीय मिट्टी । प्रश्न 13. वनो से प्रत्यक्ष लाभ कौन-कौन से हैं ? उत्तर- लाभ- (i) लकड़ी की प्राप्ति, (ii) सहायक उपजों की प्राप्ति, (iii) आधार भूत उद्योगों के लिए सामग्री, (iv) जानवरों के लिए चारागाह, (v) रोजगार प्राप्ति, (vi) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति । प्रश्न 14. जल प्रदूषण को रोकने हेतु कोई चार उपाय लिखिए। उत्तर - जल प्रदूषण रोकने के उपाय निम्नलिखित हैं- (1) रासायनिक उद्योग को जलाशयों व नदियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए । (2) उद्योगों में प्रयोग किए गये जल को जलाशयों व नदियों में सीधे विसर्जित नहीं करना चाहिए । बल्कि इस जल का उपचार कर इसे सिंचाई के उपयोग में लाना चाहिए । (3) उद्योग में प्रयोग किए जाने वाले जल के उपचार की व्यवस्था कारखाने की स्थापना के साथ ही की जानी चाहिए । (4) सड़क के किनारे तथा कारखाने के निकट खाली स्थानों पर वृक्ष लगाए जाने चाहिए । दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर- प्रश्न 1, मृदा परिच्छेदिका से क्या तात्पर्य है ? स्पष्ट कीजिए । उत्तर- मृदा परिच्छेदिका- पूर्ण विकसित मृदाओं के लम्बवत् परिच्छेद (कटान) में गठन, रंग और परते एक के ऊपर एक बिछी होती हैं। मृदा के परतों के विन्यास को मृदा परिच्छेदिका कहते हैं। (क) ऊपरी परत को ऊपरी मृदा, (ख) दूसरी परत को उप मृदा, (ग) तीसरी परत को अपक्षयित मूल चट्टानी पदार्थ तथा (घ) चौथी परत में मूल चट्टाने होती हैं, ऊपरी परत की ऊपरी मृदा ही वास्तविक मृदा की परत है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसमें हुमस तथा जैव पदार्थ का पाया जाना है। सबसे ऊपर ह्यूमस तथा उसके नीचे जैव तत्वों की प्रधानता होती है। दूसरी परतं में उपमृदा होती है, जिसमें चट्टानों के टुकड़े, बालू, गाद और चिकनी मिट्टी होती है, तीसरी परत में अपक्षयित मूल गटटानी पदार्थ तथा चौथी परत में मूल चट्टानी पदार्थ होते हैं। प्रश्न 2. लाल मिट्टी एवं लैटराइट मिट्टी में अन्तर स्पष्ट कीजिए। उत्तर - लाल मिट्टी एवं लैटराइट मिट्टी में निम्न अन्तर है- प्रश्न 3. मानव जीवन में मृदा का क्या महत्व है ? मृदा अपरदन से क्या हानियाँ हैं ? उत्तर- मानव जीवन में मृदा का महत्व - मृदा मानव जीवन का आधार है, अंतः मानव जीवन में मृदा का महत्व बहुत अधिक है।समस्त मानव जीवन मिटूटी पर निर्भर करता है। समस्त प्राणियों का भोजन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मिट्टी से प्राप्त होता है। हमारे वस्त्रों के निर्माण में प्रयुक्त कपास, रेशम, जूट व ऊन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमें मिट्टी से ही मिलते हैं, जैसे- भेड़, मिट्टी पर उगी घास खाती है और हमें ऊन देती है। रेशम के कीड़े वनस्पति पर जीते'हैं और वनस्पति मिट्टी पर उगती है। भारत में लाखों घर मिट्टी के बने हुए हैं। हमारा पशुपालन उद्योग, कृषिं और वनोद्योग मिट्टी पर आधारित हैं। मृदा अपरदन से निम्नलिखित हानियाँ हैं - ( 1) वनस्पति के नष्ट हो जाने के कारण सूखे की अवधि लम्बी हो जाती है । (2) जल के अतिरिक्त स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा सिंचाई में कठिनाई उत्पन्न हो जाती है। (3) नदियों की तह में बालू जम जाती है, जिससे धरापरिवर्तन और बंदरगाहों का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। (4) उच्चकोटि की भूमि नष्ट हो जाती है एवं कृषि उत्पादन निम्न हो जाता है। (5) कृषि योग्य भूमि के क्षेत्र में कमी आती जाती है। प्रश्न 4. वनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? वन आधारित उद्योगों का उल्लेख कीजिए । उत्तर- वन संरक्षण की आवश्यकता- वन प्रकृति एवं राष्ट्र की अमूल्य धरोहर है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए वनों को साफ कर दिया है। वनों पर आधारित अनेक उद्योग भारत में फल-फूल रहे| है। इनमें मुख्य रूप से कागज उद्योग, फनीचर उद्योग, औषधि निर्माण से सम्बन्धित उद्योग शामिल हैं। इनके अलावा चर्म उद्योग, इत्र, सुगंधित तेल, लाख, गोंद, बीड़ी आदि से सम्बन्धित उद्योग भी वनों पर आधारित हैं। यह सब वनों के संरक्षण से ही सम्भव है। अगर हम वनों का संरक्षण नहीं करेंगे तो वर्षा, अकाल एवं महामारी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए वनों का संरक्षण आवश्यक है। वन आधारित प्रमुख उद्योग - (1) वनों से प्राप्त लकड़ी, घास तथा बाँस आदि से कागज उद्योग। (2) चीड़, स्प्रूस तथा सफेद सनोवर से दियासलाई उद्योग, (3) वनों से प्राप्त लाख से लाख उद्योग, (4) वनों से प्राप्त मोम से मोम उद्योग, (5) महुआ की छाल व बबूल से गोंद उद्योग, (6) चन्दन, तारपीन, केवड़ा आदि से तेल उद्योग। प्रश्न 5. 7 दिसम्बर 1988 की वन नाति की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए । सामाजिक वानिकी योजना क्या है ? उत्तर - 7 दिसम्बर, 1988 की नवीन वन नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - (1) पहाड़ी, घाटियों व नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में वन बढ़ाए जाने पर िशेष ध्यान रखने की व्यवस्था की गई है। (2) जंगलों पर आदिवासियों और गरीबों के पारम्परिक हक को बरकरार रखे जाने के प्रयास किए गए है। (3) बनो की उत्पादकता को बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। (4) वर्तमान वनों को कटाई से बचाया गया और पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के प्रयास किए गए। (5) उद्योगों को रियायती दर पर वन उत्पाद प्राप्त करने पर रोक लगाये जाने के प्रयास किए गए। सामाजिक वानिकी योजना - सामाजिक वानिकी योजना विश्व बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त कर शुरु की गई है। यह योजना वृक्षारोपण पर आधारित है। इस योजना के अन्तर्गत चक वानिकी, विस्तार वानिकी एवं शहरी वानिकी के अन्तर्गत खेतों, सड़कों, रेल लाईनों के किनारे वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है। यह योजना वनों के संरक्षण व विस्तार हेतु एक सराहनीय कार्य है। इससे वनों में वृद्धि के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता में भी वृद्धि होती है। प्रश्न 6. वर्षा जल का संग्रहण क्यों जरूरी है ? जल संरक्षण के प्रमुख उपाय लिखिए ? उत्तर- वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता- भूमि पर जल का वितरण असमान है, साथ ही भारत में वर्षा सम्बन्धी कई समस्याएँ हैं। जैसे- वर्षा का समय पर न होना, कभी वर्षा होना, कभी नहीं होना, जिससे जल सम्बन्धी कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं । पर्याप्त पेय जल उपलब्ध नहीं हो पाता है। सिंचाई हेतु पर्याप्त जल नहीं रहता है एवं पूरे वर्ष जल की उपलब्धता नहीं रह पाती है। अतः पूरे वर्ष मानव उपयोग हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध रहे, इसलिए वर्षा जल का संग्रहण जरूरी है। जल संरक्षण के प्रमुख उपाय - (1) उपलब्ध जल का उपयोग मितव्ययी रूप में किया जाना चाहिए। (2) जल के अपव्यय को नियन्त्रित किया जाना चाहिए। (3) जल स्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उनका उचित प्रबन्धन किया जाना चाहिए। (4) जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। (5) वर्षा जल के संग्रहण व उसके प्रवाह को रोकने की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रश्न 7. 'संसाधन' क्या है? समझाइए। पुन: पूर्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। उत्तर- संसाधन-मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा उनकी किसी कठिनाई का निवारण करने वाले या निवारण में योग देने वाले आश्रय या स्रोत को संसाधन कहते हैं। दूसरे शब्दों में, कोई वस्तु या तत्व तभी संसाधन कहलाता है, जब उससे मनुष्य की किसी आवश्यकता की पूर्ति होती है, जैसे- जल एक संसाधन है, क्योंकि इससे मनुष्यों व अन्य जीवों की प्यास बुझती है, खेतों में फसलों की सिंचाई होती है और यह स्वच्छता प्रदान करने, भोजन पकाने आदि कार्यों में हमारे लिए आवश्यक होता है। इसी प्रकार, वे सभी पदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक हैं, संसाधन कहे जाते हैं। पुनः पूर्ति के आधार पर संसाधन निम्नानुसार है- 1. पुनः पूर्ति योग्य संसाधन - वे संसाधन जिनका उपयोग होने पर भी उनके गुणों को बनाये रखा जा सके, जैसे-खाद के उपयोग द्वारा कृषि भूमि जो कृषि योग्य बनाये रखना है। 2. पुनः आपूर्तिहीन संसाधन (एक बार उपयोगी संसाधन) - वे संसाधन जो एक बार उपयोग होने के बाद समाप्त हो जाते है, यथा पेट्रोल, कोयला आदि। 3. बारम्बार प्रयोग वाले संसाधन- वे संसाधन जिनका उपयोग एक बार होने के बाद भी आवश्यक संशोधन के साथ पुनः उपयोग में लिया जाता है। जैसे- धात्विक खनिज लोहा, ताँबा आदि।। 4. सनातन प्राकृतिक संसाधन ऐसे संसाधन जो उपयोग होने पर भी नष्ट नहीं होते। जैसे- सौर्य ऊर्जा, महासागर इत्यादि । प्रश्न 8 वितरण के आधार पर एवं प्रयोग के आधार पर संसाधनों को वर्गीकृत कीजिए । उत्तर- वितरण के आधार पर संसाधनों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है- 1. सर्व सुलभ संसाधन- जो सभी जगहों पर उपलब्ध हैं, जैसे- ऑक्सीजन। 2. सामान्य सुलभ संसाधन- जो संसाधन अधिकतर स्थानों पर उपलब्ध हैं। जैसे- मिट्टी, कृषि योग्य भूमि । 3. विरल संसाधन- जो सीमित स्थानों पर उपलब्ध है। यथा- कोयला, सोना, यूरेनियम आदि। 4. एकल संसाधन- जो संसार में एक या दो स्थान पर उपलब्ध हैं, यथा क्रोमोलाइट धातु जो प्राकृतिक रूप से केवल ग्रीनलैण्ड में मिलती है। प्रयोग के आधार पर संसाधनों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है- 1. अप्रयुक्त संसाधन- संसाधनों का उपयोग जब तक नहीं किया जाता, तब तक उन्हें अप्रयुक्त संसाधन कहते हैं। जैसे- कुछ खनिजों के भण्डारों का पता होने पर भी उनका दोहन और उनका कोई उपयोग भी नहीं हो पाता। 2. अप्रयोजनीय संसाधन- वर्तमान में उपलब्ध तकनीक के बल पर जिन संसाधनों का उपयोग निकट भविष्य में नहीं हो सकता, अप्रयोजनीय संसाधन कहलाते हैं। 3. संभाव्य संसाधन- जिन संसाधनों का ज्ञान होने पर भी तकनीक या योजना के अभाव में अभी उपयोग नहीं हो रहा है, किन्तु भविष्य में उपयोग की संभावना है, संभाव्य संसाधन कहलाते हैं। जैसे- नदियों का बहुता हुआ जल नहर बन जाने के बाद सिचाई के काम आ सकता है। बाध बन जाने के बाद विद्युत उत्पादन हो सकता है। 4. गुप्त संसाधन- जब तक किसी पदार्थ के गुण और मानवीय हितों की पूर्ति हेतु आवश्यक प्रयोग ज्ञात न हों, तब तक वह पदार्थ गुप्त ससाधन कहलाता है, जैसे- जब तक पेट्रोलियमं के गुण व प्रयोग मनुष्य को ज्ञात न थे, यह गुप्त संसाधन की श्रेणी में था। प्रश्न 9. मृदा अपरदन के कारण तथा सरक्षण के प्रमुख तरीकों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- मृदा अपरदन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं- 1. तेज वायु प्रवाह- जब वायु का प्रवाह तेज होता है, तब भूमि की ऊपरी सतह से मृदा एक स्थान से दूसरे स्थान तक हवा के साथ उड़कर चली जाती है, जिंससे मृदा अपरदन होता है। 2. तेज वर्षा- जब बहुत तेज वर्षा होती है, तो वर्षा के जल कें प्रवाह के साथ-साथ भूमि की ऊपरी सतह से मृदा बह जाती है, जिससे मृदा अपरदन होता है। 3. वनों का विनाश- मानव द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण भूमि की सतह से मृदा की पकड़ कमजोर हो जाती है व मृदा अपरदन होता है। 4. अनियन्त्रित चराई- पशुओं की अनियन्त्रित चराई के फलस्वरूप भूमि की ऊपरी सतह से मृदा की पकड़ ढीली हो जाती है तथा मृदा अपरदन होता है। मृदा संरक्षण के प्रमुख तरीके या उपाय- (1) पहाड़ी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेतों में फसल उगाना। (2) खेतों में बधिकाएँ बनाकर नालीदार अपरदन को रोकना। (3) शुष्क प्रदेशों में पवन की गति को रक्षकमेखला (पेड़-पौधों की बाड़) द्वारा कम करके मृदा अपरदन को रोकना चाहिए। (4) पहाड़ी ढालो पर तथा बजर भूमि में वृक्षारोपण करना चाहिए तथा पशुओ की चराई पर नियन्त्रण रखना चाहिए। (5) पर्वतीय ढालों एवं ऊँचे-नीचे क्षेत्रों में बहते हुए जल का संग्रह करना चाहिए। प्रश्न 10. जल संसाधन के प्रमुख स्रोत क्या हैं? जल संसाधन का मानव जीवन में क्या महत्व है ? उत्तर- जल संसाधन के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं- 1. पृष्ठीय जल- नदियों, झीलों व छोटे-बड़े जलाशयों का जल पृष्ठीय जल कहलाता है। पृष्ठीय जल के प्रमुख स्रोत नदियाँ, झीलें, तालाब आदि हैं। भारत में नदियाँ व सहायक नदियाँ देश के हर भाग में पाई जाती हैं। 2. भौम जल- वर्षा जल का कुछ भाग भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, जिसे भौम जल कहते हैं। इसका 60 प्रतिशत भाग ही मिट्टी की ऊपरी सतह तक पहुँचता है। कृषि व वनस्पति उत्पादन में इसका योगदान महत्वपूर्ण होता है। शेष सोखा हुआ जल धरातल के नीचे अभेद्य चटूटानों तक पहुँचकर एकत्र हो जाता है। इसे कुओं व ट्यूबवेलों के द्वारा धरातल पर लाया जाता है तथा मानवीय उपयोग के अतिरिक्त कृषि भूमि की सिंचाई, बागवानी, उद्योग आदि के लिए उपयोग किया जाता है। 3. वायुमंडलीय जल- वायुमण्डलीय जल वाष्प रूप में होता है। अतः इसका उपयोग नहीं हो पाता है। 4. महासागरीय जल- देश के पश्चिम, पूर्व व दक्षिण में क्रमशः अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर है। इस जल का उपयोग मुख्यतः जलपरिवहन और मत्स्योद्योग में होता है। जल संसाधन का मानव जीवन में महत्व - जल का उपयोग मुख्यतः पीने, भोजन बनाने, सफाई हेतु तथा सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, उद्योग, परिवहन, मनोरंजन आदि के लिए होंता है। जल का सर्वाधिक उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। जल एक मूल्यवान सम्पदा है। इससे हमारी मूलभूत आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं। पृथ्वी पर जीवन का आधार जल ही है। वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के शरीर में जल का अंश प्रधान होता है। मनुष्य के शरीर में 70 प्रतिशत जल होता है। अतः जल संसाधन का मानव जीवन में बहुत महत्व है। प्रश्न 11. जल संरक्षण क्यों आवश्यक है? इसके उपायों का वर्णन कीजिए। उत्तर- जल संरक्षण की आवेश्यकता- जल मानव जीवन का आधार है। बिना जल के मानव जीबन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मानव जल का विभिन्न प्रकार से उपयोग करता है। वह जल का उपयोग पीने के लिए, भोजन पकाने के लिए, विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ निर्मित करने के लिए, सिंचाई करने के लिए करता है। इसके अतिरिक्त वह जल का उपयोग विभिन्न क्रियाओं में करता है, इसलिए जल संरक्षण आवश्यक है। जल संरक्षण के उपाय- 1. वर्षा जल को संग्रहित करके- जल संरक्षण हेतु वर्षा के जल का संग्रहण नये तालाबों, कुँओं का निर्माण कर वर्षा का जल संग्रहित किया जाना चाहिए। 2. उपलब्ध जल का सदुपयोग- हमें उपलब्ध जल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, जिससे जल की कमी उत्पन्न न हो व जल को संरक्षित किया जा सके। 3. जल स्रोतों का उचित प्रबन्धन- हमें जल स्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उचित प्रबन्ध करना चाहिए, जिससे उन स्रोतों से हमेशा जल की प्राप्ति होती रहे। 4. जल प्रदूषण को रोकना चाहिए- हमें जल संरक्षण हेतु जल प्रदूषण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए व लोगों को जल प्रदूषित करने से रोकना चाहिए। 5. जन साधारण में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना चाहिए- हमें जल संरक्षण हेतु जन साधारण को जल सरक्षण का महत्व बताते हुए उन्हें जल सरक्षण हेतु जागरूक करना चाहिए। प्रश्न 12. भारत में मिट्टियों के विभिन्न प्रकार, उनकी विशेषताएँ एवं वितरण को स्पष्ट कीजिए । अथवा मरुस्थलीय मिट्टी की छः विशेषताएँ लिखिए । यह कहाँ पाई जाती है ? उत्तर-1. जलोढ़ मिट्टी- इसे कॉप, दोमट, कछारी या चीकट मिट्टी कहा जाता है। इस मिट्टी में पोटरॉश तथा चूना पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह मिट्टी हल्के भूरे रंग की होती है। यह मिट्टी, हिमालय से निकलने वाली सतलज, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों की द्रोणी में स्थित पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, पश्चिमी बंगाल, असम, मेघालय तथा उत्तर-पूर्वी राजस्थान में मिलती है। 2. काली या रेगड़ मिट्टी- इस मिट्टी को रेगड़ या कपास वाली काली मिट्टी भी कहते हैं। इसका रंग गहरा काला और कर्णों की बनावट बारीक व घनी होती है, इसमें अधिक देर तक जल एवं नमी ठहर सकती है। इस मिट्टी में चूना, पोटॉश, मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम तथा लोहा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसे स्वतः जुताई वाली मिट्टी भी कहा जाता है। यह मिटूटी महाराष्ट्र के विदर्भ, खानदेश एवं मराठवाड़ा, मध्यप्रदेश में, उड़ीसा के दक्षिणी भाग, कर्नाटक के उत्तरी जिलों, आन्ध्रप्रदेश के दक्षिणी और तटवर्ती भाग, तमिलनाडु के भाग तथा राजस्थान के कुछ जिलो तथा उत्तरप्रदेश के बुंदेलखण्ड संभाग में मिलती है। 3. लाल मिट्टी- यह मिट्टी शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टुट-फूट से बनती है। लेकिन नदी घाटी में पहाड़ियों के ढालों पर लगातार अधिक गर्मी पड़ने से चट्टानों के टूटने पर उसमें मिला हुआ लोहा मिटू्टी में फैल जाता है, जिससे इसका रंग लाल हो गया है। यह मिट्टी अत्यन्त रन्ध्रयुक्त है। इस मिट्टी में लोहा, एल्यूमीनियम और चूना अधिक होता है। यह मध्यप्रदेश, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, मेघालय, नागालैण्ड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र में मिलती है। 4. लैटेराइट मिट्टी- इस मिट्टी का निर्माण ऐसे भागों में है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बारी-बारी से होता है। यह मिट्टी लैटेराइट चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। इसमें चूना, फास्फोरस और पोटॉश कम मिलता है, किन्तु वनस्पति का अंश पर्याप्त होता है। लैटेराइट मिट्टी तीन प्रकार की होती है- (1) गहरी लाल लैटेराइट मिट्टी, (2) सफेद लैटेराइट मिट्टी, (3) भूगर्भवती जल वाली लैटेराइट मिट्टी । यह तमिलनाडु के पहाड़ी भागों, कर्नाटक के कुर्ग जिले, केरल राज्य के चौड़े समुद्री तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले, पश्चिम बंगाल के बेसाल्ट और ग्रेनाइट पहाड़ियों के बीच एवं उड़ीसा के पठार के ऊपरी भागों और घाटियों में मिलती है। 5. मरूस्थलीय मिट्टी- (i) यह बालू प्रधान मिट्टी है। (ii) यह मिट्टी दक्षिण-पश्चिम मानसून द्वारा कच्छ के रन की ओर से उड़कर भारत के पश्चिमी शुष्क प्रदेश में जमा हुई है। (iii) इसमें खनिज, नमक अधिक मात्रा में पाया जाता है। (iv) इस मिट्टी में गेहूँ, गन्ना, कपास, ज्वार, बाजरा, सब्जियाँ आदि पैदा होती है । (v) सिंचाई की सुविधा उपलब्ध न होने पर यह बंजर पड़ी रहती है। (vi) इस प्रकार की मिट्टी शुष्क प्रदेशों में विशेषकर पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, दक्षिणी पंजाब, दक्षिणी हरियाणा और पंश्चिमी उत्तरप्रदेश में मिलती है। 6. पर्वतीय मिट्टी- यह मिट्टी हिमालयी पर्वत श्रेणियों पर पायी जाती है। अधिकांशतः, यह मिट्टी पतली, दलदली और छिद्रमयी होती है हिमालय के दक्षिणी भाग में, असम और दार्जिलिंग में, चिकनी एवं महीन मिट्टी मिलती है, जिसमें पत्थरों के छोटे टुकड़े, अधिक तथा वनस्पति, चूना और लोहे के अंश कम पाये जाते हैं, चाय एवं आलू की कृषि के लिए उपयुक्त है। प्रश्न 13. वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए । उत्तर- वरनों से हमें निम्नलिखित प्रत्यक्ष लाभ हैं- 1. लकड़ी की प्राप्ति- वनों से प्राप्त लकड़ी एक महत्वपूर्ण ईंधन है। वृक्षों से सागौन, साल, शीशम, चीड़, देवदार, आबनूस, चंदन आदि लकड़ी मिलती है। लकड़ी से फर्नीचर बनता है। 2. सहायक उपजों की प्राप्ति- वर्नों से सहायक उपजों के रूप में लाख, चमड़ा, गोद, शहद, कत्था, मोम, छाले, बॉस व बैत, जड़ी-बूटियाँ व जानवरों के सींग आदि मिलते हैं । ये लाभकारी उद्योगों के आधारभूत तत्व है। 3. आधारभूत उद्योगों के लिए सामग्री- बनों से प्राप्त लकडही, घास, सनोवर तथा बाँस से कागज उद्योग, चीड़, स्प्रस तथा सफेद सनोवर से दियासलाई उद्योग..,लाख से लाख उद्योग, मोम से मोम उद्योग, महुआ की छालें व बबूल से गांद चमड़ा उद्योग, चन्दन, तारपीन और केवड़ा से तेल उद्योग, जड़ी-बृटियों से औषधि उद्योग विकसित हुए हैं। 4. जानवरों के लिए चरागाह- वन क्षेत्र उत्तम चरागाह स्थल हैं। वनों से जानवरों के लिए घास व पत्तियाँ मिलती हैं। 5. रोजगार प्राप्ति- वनों पर 7.8 करोड़ व्यक्तियों की आजीविका आश्रित है। वनों से जो कच्चे पदार्थ मिलते हैं, उनसे बहुत से उद्योग चल रहे हैं और करोड़ों व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है। 6. विदेशी मुद्रा की प्राप्ति- वनों से प्राप्त लाख, तारपीन का तेल, चन्दन का तेल, लकड़ी से बनी कलात्मक वस्तुओं को निर्यात करने से विदेशी मुद्रा मिलती है। प्रश्न 14. वनों से हमें कीन-कौन से अप्रत्यक्ष लाभ हैं? उत्तर-वनों से हमें अप्रत्यक्ष लाभ - 1. मिट्टी के कटाव में कमी- वनों के कारण मिट्टी की ऊपरी सतह नहीं बह पाती है। इससे मिट्टी के पोषक तत्वों में कमी नहीं होती एवं मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है। 2. जलवायु को सम बनाये रखना- वन ठंडी बायु के प्रवाह को रोकते हैं, गरम व तेज हवाओं के प्रवाह को कम करते हैं। इससे वनक्षेत्र की जलवायु समशीतोष्ण बनी रहती है। 3. बाढ़ नियन्त्रण में सहायक- वन पानी के वेग को कम कर देते हैं, बाढ़ के पानी को सोख लेते हैं। बाढ़ का पानी वन क्षेत्रों में फैलकर धीरे-धीरे नदियों में जाता है। इससे बाढ़ नियन्त्रण होता है। 4. रेगिस्तान के प्रसार पर रोक- सरदार पटेल ने कहा था कि "यदि रेगिस्तान के बढ़ते हुए प्रसार को रोकना है और मानव सभ्यता की रक्षा करनी है, तो वन सम्पदा के क्षय को अवश्य रोकना होगा।" वृक्षारोपण से रेगिस्तान का प्रसार रुकता है। 5. वर्षा में सहायक- वनों को बर्षा का संचालक कहा जाता है। वन बादलों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, जिससे वर्षा होती है। 6. जलस्तर में वृद्धि- वन देश के कुँओं, तालाबों, नदियों, झरनों आदि में पानी का स्तर बढ़ा देते हैं, जिससे इसमें पानी बना रहता है। प्रश्न 15. वन्य प्राणी संरक्षण क्यों आवश्यक है? वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय बताइए। उत्तर- वन्य प्राणी संरक्षण की आवश्यकता- वनो के साथ- साथ वन्य प्राणी भी मानव के लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं। वन्य प्राणियों से हमें माँस, खाल, हाथीदाँत आदि प्राप्त होते हैं। वन के साथ-साथ मानव ने वन्य प्राणियों का भी बेदर्दी से विनाश किया है। इसमें वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। बाघ, सिंह, हाथी, गेंडे आदि की संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। आने वाले कुछ ही वर्षों में वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों के पूर्णतः लुप्त हो जाने का भय है। अतः पर्यावरण संतुलन के लिए वन्य प्राणी संरक्षण आवश्यक है। वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं- (1) बन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुँचाए नियन्त्रित करना चाहिए। (2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। (3) वन्य क्षेत्रों में नवीन जैव मण्डल रिजर्व की स्थापना की जानी चाहिए। (4) लुप्त हो रहे जीवों के पुनर्विस्थापन के लिए नये राष्ट्रीय पार्क, अभ्यारण्यों की स्थापना की जाना चाहिए। (5) वन्य जीवों के प्रति लोगों के रवैये में परिवर्तन हेतु शिक्षा एवं जागरूकता का विकास करना चाहिए। (6) वन्य जीव प्रबन्धन की योजनाओं को कुशलता से लागू कराया जाना चाहिए। प्रश्न 16. सरकार द्वारा वन संरक्षण के लिए किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिए। उत्तर- सरकार द्वारा वन संरक्षण के लिए किये गये प्रयासों में निम्नलिखित उल्लेखनीय है- 1. केन्द्रीय वन आयोग की स्थापना- केन्द्र सरकार ने 1965 में केन्द्रीय वन आयोग की स्थापना की है। इसका कार्य आँकड़े व सूचनाएँ एकत्रित करना, तकनीकी सूचनाओं को प्रसारित करना, बाजारों का अध्ययन करना और वन विकास में लगी संस्थाओं के कार्यों को समन्वित करना है। 2. भारतीय वन सर्वेक्षण संगठन- वनों में क्या-क्या वस्तुएँ उपलब्ध है, उनका पता लगाने हेतु 1971 में इस संगठन की स्थापना की गई। 3. वन अनुसंधान संस्थान की स्थापना- देहरादून में वनों से प्राप्त वस्तुओं तथा वनों के सम्बन्ध में अनुसंधान एवं शिक्षा देने के लिए इस संस्था को स्थापित किया गया। इसके चार क्षेत्रीय केन्द्र, बैगलूर, कोयम्बटूर, जबलपुर और बुर्नोहट हैं। 4. काष्ट-कला प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना- राज्य सरकार के वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लकड़ी काटने का प्रशिक्षण देने के लिए 1965 में देहरादून में काष्ट-कला प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया। प्रश्न 17. मृदा का निर्माण कैसे होता है, एवं मृदा के प्रकारों का वर्णन कीजिए । उत्तर- मृदा एक नवीकरणीय संसाधने है, लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया बहुत धीमी है, मृदा की एक से.मी. परत के निर्माण में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं । इसकी 2 से.मी. की पतली से परत के निर्माण में 1000 वर्षों से अधिक का समय लग सकता है । मृदा- निर्माण के लिए समतल भूमि सबसे अच्छी होती है, क्योंकि इस पर मृदा के निर्माण में कम से कम बाधाएँ होती हैं । |
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